व्यस्तता भी जीवन की एक सच्चाई है
मगर नजानें क्यूं ना ये समझ आयी है।
दो पग कंकड़ों की रस्तो पर पैदल हो
तलवों में चींख जुबाँ पर हँसीं छायी है।
मेरा दर्द और कौन समझ पाऐगा रब
जब खुशी ही मेरे हिस्से गम लायीं है।
तू मुझमें खुद को ना तलाश कर वर्मा
मैंने खोके यूं शौहरत दौलत पायी है।
नितेश वर्मा
मगर नजानें क्यूं ना ये समझ आयी है।
दो पग कंकड़ों की रस्तो पर पैदल हो
तलवों में चींख जुबाँ पर हँसीं छायी है।
मेरा दर्द और कौन समझ पाऐगा रब
जब खुशी ही मेरे हिस्से गम लायीं है।
तू मुझमें खुद को ना तलाश कर वर्मा
मैंने खोके यूं शौहरत दौलत पायी है।
नितेश वर्मा
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