दो खामोश से लोग मिले इस बार भी क्यूं
बेचैन हैं साँसें बारिशों में इस बार भी क्यूं।
सवालों में निगाहें भी घुम जाती हैं उसकी
बेतुकी सारी जेहनी बात इस बार भी क्यूं।
हमदर्दी में हमसे इश्क़ कर बैठे वो वर्मा
दिल पिघला हैं पत्थर तू इस बार भी क्यूं।
नितेश वर्मा
बेचैन हैं साँसें बारिशों में इस बार भी क्यूं।
सवालों में निगाहें भी घुम जाती हैं उसकी
बेतुकी सारी जेहनी बात इस बार भी क्यूं।
हमदर्दी में हमसे इश्क़ कर बैठे वो वर्मा
दिल पिघला हैं पत्थर तू इस बार भी क्यूं।
नितेश वर्मा
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