अपने ही बातों पे दम निकलने लगे हैं
घर से निकल के मकाबी चलने लगे हैं।
पता ले जाती हैं दूर वीरानियों में वर्मा
तेरा ख्याल कर कदम संभलने लगे हैं।
नितेश वर्मा
घर से निकल के मकाबी चलने लगे हैं।
पता ले जाती हैं दूर वीरानियों में वर्मा
तेरा ख्याल कर कदम संभलने लगे हैं।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment