Saturday, 28 November 2015

रात भर भी आँखों से आँसू बहाया ना गया

रात भर भी आँखों से आँसू बहाया ना गया
खर्च की दौलत बहोत पर कमाया ना गया।

कई बहानों से ठुकराते रहे उनको हम भी
लगता हैं फिर सोचके हमें मनाया ना गया।

वो तो टूटकर भी बिखरने से घबराता रहा
सर्द की रात भी ख़तों को जलाया ना गया।

गुजर जाती हैं आवाज़ें होके खामोश यूंही
बात दिल की जुबाँ को ये बताया ना गया।

हैंरत में है जो परिशां से आलम छाया रहा
कोई चेहरा हैं दर्द का जो छुपाया ना गया।

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment