सर्दी की रात
दो जिस्म
ठिठुरते जुबाँ
कुहासे सी
ठंडी बयार
अगन की रात
और फिर
बेवक्त की
बारिश ☔
हाय!
मामला फिर
इस दफे भी
बीच में ही
रह गया।
नितेश वर्मा
दो जिस्म
ठिठुरते जुबाँ
कुहासे सी
ठंडी बयार
अगन की रात
और फिर
बेवक्त की
बारिश ☔
हाय!
मामला फिर
इस दफे भी
बीच में ही
रह गया।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment