जैसे कोई नमीं सी रह गयी हो आँखों में
वो ठहरीं हैं मुझमें वैसे ही मेरे सायों में
दिल निकाल के जब भी अलग कर देता हूँ उससे
एक जिन्दगी बेवजह चलती हैं इन साँसों में।
नितेश वर्मा और बेवजह।
वो ठहरीं हैं मुझमें वैसे ही मेरे सायों में
दिल निकाल के जब भी अलग कर देता हूँ उससे
एक जिन्दगी बेवजह चलती हैं इन साँसों में।
नितेश वर्मा और बेवजह।
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