Monday, 2 November 2015

तेरी गली से नहीं गुजरता है दिल

तेरी गली से नहीं गुजरता है दिल
अब मुझमें ही बंधा रहता है दिल

फिर सोचता है नजाने क्यूं तुझको
प्रेम की बातें किया करता है दिल

तुम नहीं, तो कुछ भी नहीं मुझमें
संग होके तेरे ही मचलता हैं दिल

लौट के आ गयी वो सुबह हो तुम
आँख के किनारे से बहता है दिल

थम गयीं थीं साँसों की कहानी भी
वो गयीं औ' अब भी रोता है दिल

मुझको याद नहीं दरिया सूखे क्यूं
वर्मा की बातें कहाँ कहता है दिल

नितेश वर्मा और दिल।

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