Saturday, 30 January 2016

नितेश वर्मा और 2016

फिर एक नया साल और पुराना मैं। सिलसिला सुनने-सुनाने का, लिखने-लिखाने का, सीखने-सीखाने का चलता रहेगा। मगर कोशिश यह भी रहेगी कि कुछ पुराने पड़े हुए काम को एक नए से अंदाज़ में निपटा दूं, ताकि अगले साल ये खलिश वाली अनुभूति ना हो। फिलिंग्स को पूरा कर लूं या किसी गटर में फल्अश कर दू। यही है इस साल की इयर रेज्यूलेशन अगले साल के आने तक।
मिलन की आस में.. हाय! ये दिसम्बर भी गुजर गयीं प्यास में।

नितेश वर्मा और 2016 की शुभकामनाएँ।

नोट 📝: हैंगओभर उतरेगी तो कुछ साहित्यिक बात भी करेंगे, फिलहाल इंज्वाय किजीए। खुश रहिये। 

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