Saturday, 30 January 2016

तुम्हारे इन किताबों को पढकर क्या फ़ायदा

तुम्हारे इन किताबों को पढकर क्या फ़ायदा
इस हर्फ़े-सितारों को समझकर क्या फ़ायदा।

जान भी जायेगी आखिर एक रोज़ इसमें भी
वक़्त इसमें कीमती उलझाकर क्या फ़ायदा।

जितने भी सारे पढ़े मयखाने में वो उतर गये
ऐसी किताब ये सीने पे रखकर क्या फ़ायदा।

ये नम आँखें ताउम्र गुजर गयीं ख्वाहिशों में
अब उम्र ढल के कुछ पाने पर क्या फ़ायदा।

दिल इश्क़ें-दिल्ली, जबान अदबें-लखनऊ
अब सर-ए-मज़हब लगाकर क्या फ़ायदा।

लैला-ए-सुख़न तेरी किताबों में कैद है वर्मा
मग़र तेरे किताबों में उतरकर क्या फ़ायदा।

नितेश वर्मा और क्या फ़ायदा

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