Nitesh Verma Poetry
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Saturday, 30 January 2016
सर्दियों की हँसीं शाम होने लगी है
सर्दियों की हँसीं शाम होने लगी है.. बस तुझे देखके कुछ आराम होने लगी है।
नितेश वर्मा और सर्दियों की शाम।
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