साँसों की हर रात में होती हो तुम
ठहरी सी हर बात में होती हो तुम
मेरे दिल की आवाज़ सी हो मुझमें
रो दूं गर उस मात में होती हो तुम
बिन तेरे कुछ भी नहीं मैं
बिन तेरे खुद मैं नहीं मैं
बिन तेरे खाली-खाली मैं
बिन तेरे नहीं.. कुछ भी नहीं मैं।
नितेश वर्मा
ठहरी सी हर बात में होती हो तुम
मेरे दिल की आवाज़ सी हो मुझमें
रो दूं गर उस मात में होती हो तुम
बिन तेरे कुछ भी नहीं मैं
बिन तेरे खुद मैं नहीं मैं
बिन तेरे खाली-खाली मैं
बिन तेरे नहीं.. कुछ भी नहीं मैं।
नितेश वर्मा