Thursday, 11 February 2016

लिखना भी बंद कर दिया मैंने

लिखना भी बंद कर दिया मैंने
जबसे तुम्हें सोचना बंद कर दिया मैंने
हालात बदलीं तो मैं भी बदल गया
बात जब थोड़ी आगे बढ़ी तो
ज़ज्बाती भी होना बंद कर दिया
मैंने हिमाक़त की भी तो मामूली सी
क़ुर्बतों में फ़ासलें भी रखी तो मामूली सी
यादाश्त में आना भी बंद कर दिया मैंने
जबसे तुम्हें सोचना बंद कर दिया मैंने
जीना भी बंद कर दिया मैंने।

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment