Friday, 5 February 2016

मैं बीज़नेस मैन हूँ

मैं तहरीरे इज़ात करता हूँ
मैं किरदारों में रहता हूँ
हर शौहरत हर शक्ल के आडे
मैं तस्वीरें इज़ात करता हूँ
मैं कमाई करता हूँ
मैं गमों का सौदा करता हूँ
किसी बज़्म में नज़्म छिड़ जाये
तो ग़ज़ल बेच देता हूँ
मुश्किलात जब ज्यादा बढ़ जाये
तो कहानी बेच देता हूँ
मैं तुम्हारा भी गुनहगार हूँ
मैं तुम्हारी बातें बेच देता हूँ
जिस रात तेरी याद ना आये
ख्वाहिशें बेच देता हूँ
मैं बीज़नेस मैन हूँ जानम
मैं मुनाफे में यादें बेच देता हूँ
मैं बीज़नेस मैन हूँ जानम..
मैं बीज़नेस मैन हूँ।

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment