यूं मेरे हाथों पर उजाला रखकर
हँसते रहें वो मुँह छाला रखकर।
अब इलाज का क्या फ़ायदा जब
भूखे रहें बीमार निवाला रखकर।
मैंने ही माँगी थीं रिहाई उनसे औ'
चारागर चले गये आला रखकर।
देश मर रहा है तो मर जाये वर्मा
होता है क्या दिल काला रखकर।
नितेश वर्मा
हँसते रहें वो मुँह छाला रखकर।
अब इलाज का क्या फ़ायदा जब
भूखे रहें बीमार निवाला रखकर।
मैंने ही माँगी थीं रिहाई उनसे औ'
चारागर चले गये आला रखकर।
देश मर रहा है तो मर जाये वर्मा
होता है क्या दिल काला रखकर।
नितेश वर्मा
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