Tuesday, 16 February 2016

तुम्हारे नखड़े मैं उठा नहीं सकता

तुम्हारे नखड़े मैं उठा नहीं सकता
ये इश्क़ भी मैं निभा नहीं सकता।

जाने कितने बरसों से प्यासा रहा
मैं ये तिश्नगी भी बता नहीं सकता।

रात आधी गुजर गयीं है ख्वाब में
आधी ये मैं अब बिता नहीं सकता।

तुम ख्यालों में भी नहीं ठहरती हो
पर तस्वीर ये मैं हटा नहीं सकता।

मुहब्बत में आवारगी होती है वर्मा
मगर मैं कुछ दिखा नहीं सकता।

नितेश वर्मा और नहीं सकता।

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