उसके चाहने से भी कुछ हुआ नहीं
जिंदगी हारी मगर कोई जुआ नहीं।
माँगी भी तो अपने ही हक की माँगी
मैंने औरों का हक कभी छुआ नहीं।
कमरे में तन्हा रोता रहा तस्वीर मेरा
शायद मुझको ही मिली दुआ नहीं।
बेगैरत है इंसान भी हालात के आगे
वक़्त से बढके क्या कोई खुदा नहीं।
अब तो भरम सारे टूटने लगे है वर्मा
फिर क्यूं वो मुझसे हुआ जुदा नहीं।
नितेश वर्मा
जिंदगी हारी मगर कोई जुआ नहीं।
माँगी भी तो अपने ही हक की माँगी
मैंने औरों का हक कभी छुआ नहीं।
कमरे में तन्हा रोता रहा तस्वीर मेरा
शायद मुझको ही मिली दुआ नहीं।
बेगैरत है इंसान भी हालात के आगे
वक़्त से बढके क्या कोई खुदा नहीं।
अब तो भरम सारे टूटने लगे है वर्मा
फिर क्यूं वो मुझसे हुआ जुदा नहीं।
नितेश वर्मा
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