सतही तौर पर भी लिखा जाना चाहिये
मुहब्बत आपको भी आजमाना चाहिये।
कब तक ये आसमानों पर निगाहें रहे
सितारों को अब जमीं पे आना चाहिये।
ख्वाबों को संवारा है यूं नाजाने कबसे
इन ख्वाहिशातों को जला देना चाहिये।
दिल के बोझ को अब उतार भी वर्मा
जिंदगी को जिंदगी से मिलाना चाहिये।
नितेश वर्मा
मुहब्बत आपको भी आजमाना चाहिये।
कब तक ये आसमानों पर निगाहें रहे
सितारों को अब जमीं पे आना चाहिये।
ख्वाबों को संवारा है यूं नाजाने कबसे
इन ख्वाहिशातों को जला देना चाहिये।
दिल के बोझ को अब उतार भी वर्मा
जिंदगी को जिंदगी से मिलाना चाहिये।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment