Friday, 12 February 2016

तुम बहुत नाज़ुक हो

तुम बहुत नाज़ुक हो
और खूबसूरत भी
मैं तो बात-बात पर
शीशे तोड़ देता हूँ
कांच मेरी जिंदगी में है
मैं इसपर
किसी को बिठा नहीं सकता
मैं चला जाऊंगा
एक बार फिर कहीं दूर
हर दफा मैं कांच की
चीजें नहीं तोड़ सकता।

नितेश वर्मा

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