Sunday, 28 February 2016

साँसों की हर रात में होती हो तुम

साँसों की हर रात में होती हो तुम
ठहरी सी हर बात में होती हो तुम
मेरे दिल की आवाज़ सी हो मुझमें
रो दूं गर उस मात में होती हो तुम
बिन तेरे कुछ भी नहीं मैं
बिन तेरे खुद मैं नहीं मैं
बिन तेरे खाली-खाली मैं
बिन तेरे नहीं.. कुछ भी नहीं मैं।

नितेश वर्मा

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