महज़ घर के दस्तावेज़ों में नाम था उसका
आज कमरे अलग हुए तो वो तन्हा हो गया।
एक ख़लिश ने कबसे समेट रक्खा था मुझे
जवाबदारी के वक़्त फिर मैं बेजुबाँ हो गया।
नितेश वर्मा और दस्तावेज़
आज कमरे अलग हुए तो वो तन्हा हो गया।
एक ख़लिश ने कबसे समेट रक्खा था मुझे
जवाबदारी के वक़्त फिर मैं बेजुबाँ हो गया।
नितेश वर्मा और दस्तावेज़
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