Wednesday, 11 May 2016

तुम जाने क्या हो, ख़ुदा की कारीगरी

तुम जाने क्या हो, ख़ुदा की कारीगरी
एक चेहरा ये मुझे सोने भी नहीं देता।

बहोत हुआ बारिश, अब रूक जाओ
उसका चेहरा मुझे रोने भी नहीं देता।

माना जिद पे आये हो, तो जाँ लोगे ही
वो चेहरा मुझे मेरा होने भी नहीं देता।

अब चैन से हो जाओ, कहानी आगे है
ये चेहरा मुझे कहीं खोने भी नहीं देता।

नितेश वर्मा और चेहरा तेरा।

No comments:

Post a Comment