उसने जब इंकार ही कर दिया..
तो अब कोई सवाल नहीं है..
मुहब्बत हमारी एक तरफा ही रही..
फिर भी मलाल नहीं है..
वो जितनी दूर हमसे जाती रही..
हम उसके उतने करीब हो गए..
उसके चेहरे को दिखा फिर उससे पूछा..
के क्या पसंद ये हमारी कमाल नहीं है।
नितेश वर्मा और पसंद।
तो अब कोई सवाल नहीं है..
मुहब्बत हमारी एक तरफा ही रही..
फिर भी मलाल नहीं है..
वो जितनी दूर हमसे जाती रही..
हम उसके उतने करीब हो गए..
उसके चेहरे को दिखा फिर उससे पूछा..
के क्या पसंद ये हमारी कमाल नहीं है।
नितेश वर्मा और पसंद।
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