सवालें ख़ूब कर मिज़ाज बदल जाऐंगे
हसीं सफ़र कर तो राज़ बदल जाऐंगे।
दर्द तेरे हिस्से ही क्यूं रहता है मेहरबां
ख़त भेज दे तो ये दराज़ बदल जाऐंगे।
तू मुतमईन भी हो सकता है सब्र रख
बेसब्र होके कौन से ताज बदल जाऐंगे।
हवाओं का रूख़ कभी मेरा नहीं हुआ
जब होगा तो ये सामाज बदल जाऐंगे।
नितेश वर्मा
हसीं सफ़र कर तो राज़ बदल जाऐंगे।
दर्द तेरे हिस्से ही क्यूं रहता है मेहरबां
ख़त भेज दे तो ये दराज़ बदल जाऐंगे।
तू मुतमईन भी हो सकता है सब्र रख
बेसब्र होके कौन से ताज बदल जाऐंगे।
हवाओं का रूख़ कभी मेरा नहीं हुआ
जब होगा तो ये सामाज बदल जाऐंगे।
नितेश वर्मा
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