Monday, 2 May 2016

अब कोई परेशान ही क्यूं होता है यहाँ

अब कोई परेशान ही क्यूं होता है यहाँ
जो होना होता है, वो होता है यहाँ
आँखों में धूल की भी जगह होती है
तूफानों में फिर जोर क्यूं होता है यहाँ
टूटता है फिर शिकायतें करता है
ख़ुदपरस्त अब तू क्यूं रोता है यहाँ
मंजिल तक सफ़र का इंतज़ाम करके
बीच रास्ते में ही क्यूं तू सोता है यहाँ
हवाओं में जब भी जिक्र होता है यहाँ
तू ही तू फिर मुझमें होता है यहाँ
तू ही तू फिर मुझमें होता है यहाँ।

नितेश वर्मा

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