लोग जिद पे उतर जाते हैं यूंही शराब पीने को
इक मृगतृष्णा है ये जिन्दगी हसीन सी जीने को।
उनके आगे तो आज भी हम यूंही हार जाते है
और लोग कहते हैं कोई काम नहीं कमीने को।
नितेश वर्मा
इक मृगतृष्णा है ये जिन्दगी हसीन सी जीने को।
उनके आगे तो आज भी हम यूंही हार जाते है
और लोग कहते हैं कोई काम नहीं कमीने को।
नितेश वर्मा
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