इन आँखों से चूम लूं मैं यें पढी आँखें तेरी
लबों से चुरा लूं मैं थमीं हर इक नज़र तेरी
ख्बावों का मतलब कुछ और बदल देगा
सीनें में तू आ तो इक चेहरा उतार लूं तेरी
ये फ़िज़ा तो यूं ही मुझे इशारा ना बताती हैं
बाहों में जो तू आ तो ये ज़ुल्फें संवार दूं तेरी
लिक्खे खत को जो जला दूं मैं फिकर क्या
करीब आ मैं ये गलत-फहमीं उतार दूं तेरी
नितेश वर्मा
लबों से चुरा लूं मैं थमीं हर इक नज़र तेरी
ख्बावों का मतलब कुछ और बदल देगा
सीनें में तू आ तो इक चेहरा उतार लूं तेरी
ये फ़िज़ा तो यूं ही मुझे इशारा ना बताती हैं
बाहों में जो तू आ तो ये ज़ुल्फें संवार दूं तेरी
लिक्खे खत को जो जला दूं मैं फिकर क्या
करीब आ मैं ये गलत-फहमीं उतार दूं तेरी
नितेश वर्मा
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