तुम जो कहो तो मैं इश्क का इज़हार कर दूं
खातिर तुम्हारें मैं जां भी ये निसार कर दूं
तस्वीर से निकल बाहों में चली आई हो तुम
कहो जो तुम तो तेरी ज़ुल्फ़ों में मैं रात कर दूं
इन लबों से लब लगकर भी कुछ कहते हैं जां
हुक्म जो करो तो मैं भी ये आँखें चार कर दूं
लेकर तो ये सब मैं गुजरा ही था अए वर्मा
तुम जो कहो तो वो मुक्कमल किताब रख दूं
नितेश वर्मा
खातिर तुम्हारें मैं जां भी ये निसार कर दूं
तस्वीर से निकल बाहों में चली आई हो तुम
कहो जो तुम तो तेरी ज़ुल्फ़ों में मैं रात कर दूं
इन लबों से लब लगकर भी कुछ कहते हैं जां
हुक्म जो करो तो मैं भी ये आँखें चार कर दूं
लेकर तो ये सब मैं गुजरा ही था अए वर्मा
तुम जो कहो तो वो मुक्कमल किताब रख दूं
नितेश वर्मा
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