अब भी वो तकलीफ़ दे जाती हैं
जबभी वो मुझे याद आ जाती हैं
भूलाता हूँ मैं जो चेहरें बदल के
बेहर्श वो आँखों में आ जाती हैं
मेरे रूह को सुकूं आता ही नहीं
और वो सीनें में उतर जाती हैं
इस कदर सा परेशां हूँ मैं अब
नाम ज़ुबां पे यूं ही आ जाती हैं
फिक्र ना कोई मलाल हैं उसका
क्यूं बिन वज़ह वो रूठ जाती हैं
मेरे दिल की और तस्वीर क्या
बाहों में जो वो अब आ जाती हैं
नितेश वर्मा
जबभी वो मुझे याद आ जाती हैं
भूलाता हूँ मैं जो चेहरें बदल के
बेहर्श वो आँखों में आ जाती हैं
मेरे रूह को सुकूं आता ही नहीं
और वो सीनें में उतर जाती हैं
इस कदर सा परेशां हूँ मैं अब
नाम ज़ुबां पे यूं ही आ जाती हैं
फिक्र ना कोई मलाल हैं उसका
क्यूं बिन वज़ह वो रूठ जाती हैं
मेरे दिल की और तस्वीर क्या
बाहों में जो वो अब आ जाती हैं
नितेश वर्मा
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