Monday, 15 September 2014

जाती हैं [Jaati Hai]

अब भी वो तकलीफ़ दे जाती हैं
जबभी वो मुझे याद आ जाती हैं

भूलाता हूँ मैं जो चेहरें बदल के
बेहर्श वो आँखों में आ जाती हैं

मेरे रूह को सुकूं आता ही नहीं
और वो सीनें में उतर जाती हैं

इस कदर सा परेशां हूँ मैं अब
नाम ज़ुबां पे यूं ही आ जाती हैं

फिक्र ना कोई मलाल हैं उसका
क्यूं बिन वज़ह वो रूठ जाती हैं

मेरे दिल की और तस्वीर क्या
बाहों में जो वो अब आ जाती हैं

नितेश वर्मा

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