किस कदर रूठे हैं हमसे हमारें सब
इल्जाम सर कर दिया हैं हमारें सब
अब मनानें को मैं किस गली जाऊँ
हमसे ही रूठे बैठे हैं जो हमारें सब
बदलें की नफ़रत कितनी मारती हैं
हैंरा हैं हालत देख के ये हमारें सब
जो सुकूं मिलता किसी के बाहों में
चले आतें किसी बहानें हमारें सब
लो हद हो गयी इस बात की वर्मा
मुहब्बत में क्यूं मरे ये हमारें सब
नितेश वर्मा
इल्जाम सर कर दिया हैं हमारें सब
अब मनानें को मैं किस गली जाऊँ
हमसे ही रूठे बैठे हैं जो हमारें सब
बदलें की नफ़रत कितनी मारती हैं
हैंरा हैं हालत देख के ये हमारें सब
जो सुकूं मिलता किसी के बाहों में
चले आतें किसी बहानें हमारें सब
लो हद हो गयी इस बात की वर्मा
मुहब्बत में क्यूं मरे ये हमारें सब
नितेश वर्मा
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