Friday, 19 September 2014

लम्हें का [Lamhein Ka]

हैं मुझे प्यार फिर से उसी किसी कहें लम्हें का
किया था जो मैनें कभी इकरार जिस लम्हें का

मुहब्बत जगाता फिरता हैं वो जो आँखों में मेरे
दर्द हैं जो वो दिखाया नहीं कभी उस लम्हें का

दिल की खामोशियाँ अब जुबाँ की धमकियाँ हैं
तुम्हें दिखाया था मैनें जो ख्वाब इस लम्हें का

इंतज़ार में ज़िन्दगी बस अब कट के रह गयी
या खुदा! मिलता नहीं सुकूँ मेरे कहें लम्हें का

रह नहीं सकता वो बिन मेरे मेरे सोहबत के वर्मा
हवाएँ भी याद दिलाती हैं तेरे संग हर लम्हें का

नितेश वर्मा


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