क्यूं बेवजह ये ज़िन्दगी बुझ सी गयी है
साँसें भी थमीं और जुबां रूक सी गयी है
घिस के खराब हुए है सिक्कें सारें सुहानें
आँखों की ये ख्वाब क्यूं सूझं सी गयी है
बदलें की आग में झुंलस के सब राख है
बारिश की हुई नमीं क्यूं रूठ सी गयी है
माना है गाँव का बागीचा मेरा पुराना ही
नहर की ठंडी पानी क्यूं सूख सी गयी है
चलो कर आए हिसाब हम अपना पुराना
बदला खून का और ज़मीं सूख सी गयी है
दिल बेजान है आज भी कुछ इस कदर
टूटा है दिल और सूरत बिखर सी गयी है
नितेश वर्मा
साँसें भी थमीं और जुबां रूक सी गयी है
घिस के खराब हुए है सिक्कें सारें सुहानें
आँखों की ये ख्वाब क्यूं सूझं सी गयी है
बदलें की आग में झुंलस के सब राख है
बारिश की हुई नमीं क्यूं रूठ सी गयी है
माना है गाँव का बागीचा मेरा पुराना ही
नहर की ठंडी पानी क्यूं सूख सी गयी है
चलो कर आए हिसाब हम अपना पुराना
बदला खून का और ज़मीं सूख सी गयी है
दिल बेजान है आज भी कुछ इस कदर
टूटा है दिल और सूरत बिखर सी गयी है
नितेश वर्मा
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