क्यूं मुझसे मेरा इक ये हिस्सा छूटा हैं
उसके ना होने से, ये दिल मेरा टूटा हैं
कसमें,वादें,इरादें सब उसकी शर्तों से
जानें क्यूं अभ्भी वो मुझसे यूं रूठा हैं
अब तो माँगकर ही रहता हैं ज़िंदा वो
किस कदर वो इक शख्स मेरा लूटा हैं
इक इमान के खातिर जो परेशां रहा
क्यूं कहतें रहें लोग शख्स वो झूठा हैं
नितेश वर्मा
उसके ना होने से, ये दिल मेरा टूटा हैं
कसमें,वादें,इरादें सब उसकी शर्तों से
जानें क्यूं अभ्भी वो मुझसे यूं रूठा हैं
अब तो माँगकर ही रहता हैं ज़िंदा वो
किस कदर वो इक शख्स मेरा लूटा हैं
इक इमान के खातिर जो परेशां रहा
क्यूं कहतें रहें लोग शख्स वो झूठा हैं
नितेश वर्मा
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