Tuesday, 27 January 2015

तुमसे ही कुछ ये ज़िन्दगी हैं

तुमसे ही कुछ ये ज़िन्दगी हैं
तुमसे ही ये रास्तें ये मंज़िले
तुमसे ही
ये जीनें की ख्वाहिश हैं
और
तुम-तक ही ठहरनें की गुजारिश
ये जुबां हैं गर बेजुबां
तो बेजुबां ही सही
दिल हैं ठहरा तुमपें
तो तुम-तक ही चाह हैं
तुमसे ही कुछ ये ज़िन्दगी हैं
तुमसे ही ये रास्तें ये मंज़िले

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment