बिछडतें वो ख्वाब सारें एक धुएं के पीछें हैं
नजर जाती नहीं नजर एक धुएं के पीछें हैं
मिलता नहीं हैं सुकून बिन उसके कहीं तो
ज़िन्दा वो लाश, मगर एक धुएं के पीछें हैं
यूं फेरती निगाहें,वो जुल्फें संवारती रहीं हैं
सवालें करती अखबार एक धुएं के पीछें हैं
सबर से इम्तिहान,कबर पे मातम देखा हैं
उस आँखों से की बौछर एक धुएं के पीछें हैं
नितेश वर्मा
नजर जाती नहीं नजर एक धुएं के पीछें हैं
मिलता नहीं हैं सुकून बिन उसके कहीं तो
ज़िन्दा वो लाश, मगर एक धुएं के पीछें हैं
यूं फेरती निगाहें,वो जुल्फें संवारती रहीं हैं
सवालें करती अखबार एक धुएं के पीछें हैं
सबर से इम्तिहान,कबर पे मातम देखा हैं
उस आँखों से की बौछर एक धुएं के पीछें हैं
नितेश वर्मा
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