यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..
तू मुझसे कभी मिलती नहीं
और नज़र
ये तुझसे कभी हटती नहीं..
क्या हैं क्यूं हैं और कब-तक
ये मुहब्बत
मेरी आखिर होती क्यूं नहीं..
यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..
नितेश वर्मा
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..
तू मुझसे कभी मिलती नहीं
और नज़र
ये तुझसे कभी हटती नहीं..
क्या हैं क्यूं हैं और कब-तक
ये मुहब्बत
मेरी आखिर होती क्यूं नहीं..
यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment