Thursday, 1 January 2015

यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे

यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..

तू मुझसे कभी मिलती नहीं
और नज़र
ये तुझसे कभी हटती नहीं..

क्या हैं क्यूं हैं और कब-तक
ये मुहब्बत
मेरी आखिर होती क्यूं नहीं..

यूं बे-इन्तिहा मुहब्बत तुझसे
और
ये खामोश-खामोश सी जुबां..

नितेश वर्मा

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