Tuesday, 20 January 2015

कहीं तो उसकी इक इंतजार हैं अरसे से इस दिल में

कहीं तो उसकी इक इंतजार हैं अरसे से इस दिल में
यूं हीं करता नहीं कोई आवाज अरसे से इस दिल में

वो शाम से शहर की आवाज तक में हैं बसी अब तो
यूं हीं, ये चोर करता नहीं शोर अरसे से इस दिल में

मुहब्बत में तो इक लाख पाक इम्तिहां दे दी हैं मैंनें
घुट-घुट के अभ्भी वो जी रहा हैं अरसे से इस दिल में

मुझसे और नजानें कितनी बातों का जिक्र बाकी हैं
वो नजरें झुका के यूहीं बैठी हैं अरसे से इस दिल में

नितेश वर्मा
और
अरसे से इस दिल में


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