कहीं तो उसकी इक इंतजार हैं अरसे से इस दिल में
यूं हीं करता नहीं कोई आवाज अरसे से इस दिल में
वो शाम से शहर की आवाज तक में हैं बसी अब तो
यूं हीं, ये चोर करता नहीं शोर अरसे से इस दिल में
मुहब्बत में तो इक लाख पाक इम्तिहां दे दी हैं मैंनें
घुट-घुट के अभ्भी वो जी रहा हैं अरसे से इस दिल में
मुझसे और नजानें कितनी बातों का जिक्र बाकी हैं
वो नजरें झुका के यूहीं बैठी हैं अरसे से इस दिल में
नितेश वर्मा
और
अरसे से इस दिल में
यूं हीं करता नहीं कोई आवाज अरसे से इस दिल में
वो शाम से शहर की आवाज तक में हैं बसी अब तो
यूं हीं, ये चोर करता नहीं शोर अरसे से इस दिल में
मुहब्बत में तो इक लाख पाक इम्तिहां दे दी हैं मैंनें
घुट-घुट के अभ्भी वो जी रहा हैं अरसे से इस दिल में
मुझसे और नजानें कितनी बातों का जिक्र बाकी हैं
वो नजरें झुका के यूहीं बैठी हैं अरसे से इस दिल में
नितेश वर्मा
और
अरसे से इस दिल में
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