Sunday, 11 January 2015

मुहब्बत यूं तो सवालों में नज़र नहीं आती

मुहब्बत यूं तो सवालों में नज़र नहीं आती
ग़र वो यूं परेशां हैं,तो भी नज़र नहीं आती

बिताएं थें जो कल रात, लम्हें उनके साथ
आँखें अब हजार,नाराज़ नज़र नहीं आती

नितेश वर्मा

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