यूं वो मुझसे अब इक बात कहनें आया हैं
मुहब्बत भरी इक जज्बात कहनें आया हैं
सुना था उसके बारें में ना-जानें क्या क्या
वो मुझे आज ये ज़िंदा रात कहनें आया हैं
इन ठंडी-थमी हवाओं का असर हैं शायद
वर्ना कौन अब ये बरसात कहनें आया हैं
कितनी तकलीफ से वो आया हैं मुझतक
ख्वाबों में आज वो हयात कहनें आया हैं
नितेश वर्मा
मुहब्बत भरी इक जज्बात कहनें आया हैं
सुना था उसके बारें में ना-जानें क्या क्या
वो मुझे आज ये ज़िंदा रात कहनें आया हैं
इन ठंडी-थमी हवाओं का असर हैं शायद
वर्ना कौन अब ये बरसात कहनें आया हैं
कितनी तकलीफ से वो आया हैं मुझतक
ख्वाबों में आज वो हयात कहनें आया हैं
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment