Thursday, 1 January 2015

मुहब्बत भरी इक जज्बात कहनें आया हैं

यूं वो मुझसे अब इक बात कहनें आया हैं
मुहब्बत भरी इक जज्बात कहनें आया हैं

सुना था उसके बारें में ना-जानें क्या क्या
वो मुझे आज ये ज़िंदा रात कहनें आया हैं

इन ठंडी-थमी हवाओं का असर हैं शायद
वर्ना कौन अब ये बरसात कहनें आया हैं

कितनी तकलीफ से वो आया हैं मुझतक
ख्वाबों में आज वो हयात कहनें आया हैं

नितेश वर्मा

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