यूं गुनहगारों में भी शामिल नहीं है हम
करें शिकायतें हुए काबिल नहीं है हम।
हर रोज़ लिखें औ' मशहूर भी हो जाये
इतने बड़े अदबी कामिल नहीं है हम।
जाँ लेके जाओगे तो क्या जाओगे तुम
हसरतों के जाति साहिल नहीं है हम।
पत्थर हमारे घर पे क्यूं मार देगा कोई
अब इतने भी नाकामिल नहीं है हम।
ये चंद रोज़ पहले की बात है सुनो तो
अदब-ए-जबाँ है जाहिल नहीं है हम।
नितेश वर्मा और नहीं है हम।
करें शिकायतें हुए काबिल नहीं है हम।
हर रोज़ लिखें औ' मशहूर भी हो जाये
इतने बड़े अदबी कामिल नहीं है हम।
जाँ लेके जाओगे तो क्या जाओगे तुम
हसरतों के जाति साहिल नहीं है हम।
पत्थर हमारे घर पे क्यूं मार देगा कोई
अब इतने भी नाकामिल नहीं है हम।
ये चंद रोज़ पहले की बात है सुनो तो
अदब-ए-जबाँ है जाहिल नहीं है हम।
नितेश वर्मा और नहीं है हम।
No comments:
Post a Comment