मेरा उसपे कोई इख़्तियार नहीं है
ये इश्क़ है कोई कारोबार नहीं है।
वो यूं खुश रहेगी मुझसे दूर होकर
अब जाके लगा उसे प्यार नहीं है।
आँखों से उसका चेहरा हटता नहीं
दिल भी ये मेरा समझदार नहीं है।
छुप जाता है वो मुझसे से भी पहले
कभी था जो अब तलबगार नहीं है।
क्यूं ये जिन्दगी बेबसी में बर्बाद है
शायद कोई है जो शर्मसार नहीं है।
नितेश वर्मा
ये इश्क़ है कोई कारोबार नहीं है।
वो यूं खुश रहेगी मुझसे दूर होकर
अब जाके लगा उसे प्यार नहीं है।
आँखों से उसका चेहरा हटता नहीं
दिल भी ये मेरा समझदार नहीं है।
छुप जाता है वो मुझसे से भी पहले
कभी था जो अब तलबगार नहीं है।
क्यूं ये जिन्दगी बेबसी में बर्बाद है
शायद कोई है जो शर्मसार नहीं है।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment