Thursday, 7 April 2016

मेरा उसपे कोई इख़्तियार नहीं है

मेरा उसपे कोई इख़्तियार नहीं है
ये इश्क़ है कोई कारोबार नहीं है।

वो यूं खुश रहेगी मुझसे दूर होकर
अब जाके लगा उसे प्यार नहीं है।

आँखों से उसका चेहरा हटता नहीं
दिल भी ये मेरा समझदार नहीं है।

छुप जाता है वो मुझसे से भी पहले
कभी था जो अब तलबगार नहीं है।

क्यूं ये जिन्दगी बेबसी में बर्बाद है
शायद कोई है जो शर्मसार नहीं है।

नितेश वर्मा

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