Friday, 22 April 2016

तुम ख्यालों में आती हो मेरे

तुम ख्यालों में आती हो मेरे
एक हँसीं ख़्वाब की तरह
तुमको तलाशा था जाने कबसे
हो मुझमें तुम सराब की तरह
एक दफा तुमको देखा जभी मैंने
मैं खोया रहा तुममें गुमनाम सा
मुझको मेरी ना अब ख़बर है कहीं
मैं तुममें ही रहता हूँ गुलाब की तरह
तुम ख्यालों में आती हो मेरे
एक हँसीं ख़्वाब की तरह

के देखके तुमको गुजरती है
रातें भी सारी तुममें संवरती है
मेरी बेचैनियों में तुम रहती हो कहाँ
किसी दुआ की जैसे तुम जन्नती जहां
तुमपे ही आके सवालें गुम हैं
तुम हो जैसे कोई जवाब की तरह
तुम ख्यालों में आती हो मेरे
एक हँसीं ख़्वाब की तरह।

नितेश वर्मा

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