Thursday, 14 April 2016

किस चीज़ की जल्दी है आपको इस शहर में

किस चीज़ की जल्दी है आपको इस शहर में
जब कोई मकाँ रहने लायक नहीं इस घर में।

क्यूं उलझनों में भागे फिरते हो तुम यूं अकेले
मयस्सर नहीं जब सुकूनेलम्हा किसी पहर में।

क्या कर लिये तुम मुझे मेरे हाल पे छोड़कर
बेचारे हम हो गए तुम्हारे ही खोजों-ख़बर में।

लाईलाज़ बीमारी थी कोई दवा काम न आया
जिंदगी परेशां रही इसी कश्मेकश सफ़र में।

ये दुनिया सुखनवरों की तुमसे अलग हैं वर्मा
नहीं किसी को है प्यास समुंदर की भंवर में।

नितेश वर्मा

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