लेकर तन्हाई कहाँ तक फिरेंगे आप
अब शायद कहीं इश्क़ करेंगे आप।
गम-ए-बोझ सिर्फ़ मुझ पर थोड़ी है
होकर परेशान थोड़ा तो रहेंगे आप।
बेहाल है हाल इस मौसम भी हमारा
मेहरबानी होगी जो यूं बरसेंगे आप।
एक ओर तमाम ख़्वाहिशात है वर्मा
बूंदों से प्यास कब तक भरेंगे आप।
नितेश वर्मा और आप।
अब शायद कहीं इश्क़ करेंगे आप।
गम-ए-बोझ सिर्फ़ मुझ पर थोड़ी है
होकर परेशान थोड़ा तो रहेंगे आप।
बेहाल है हाल इस मौसम भी हमारा
मेहरबानी होगी जो यूं बरसेंगे आप।
एक ओर तमाम ख़्वाहिशात है वर्मा
बूंदों से प्यास कब तक भरेंगे आप।
नितेश वर्मा और आप।
No comments:
Post a Comment