Monday, 25 April 2016

कहानी

कहानी जो किसी उम्मीद में सुनाओगे तो फिर बिखर जाऐंगे हम
कई दफा सोची है घर जाने की इस दफा जिक्र पे ही मर जाऐंगे हम
अब जो आग ही लगाकर बैठे हो खुद के घर में तो क्या कहें वर्मा
इस आग से बचाओगे तो जिल्लत से ही घुटकर मर जाऐंगे हम।

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment