उसको मैंने चाहा बहोत है
ज़बानी कुछ ठीक-ठीक
मैं बता भी नहीं सकता
हालांकि ये समझाने की मैंने
कई दफा कोशिश की है
पुकारा है उसे दिल से
कई बार गुजारी है रात
इस वियोग में के वो आएगी
लौटकर मेरी इन बाहों में
फिर मैं भी हो जाऊँगा
बिलकुल ठीक
ठीक उसकी तरह जैसे के
वो रहती है मेरे दिल के दरम्यान।
नितेश वर्मा
ज़बानी कुछ ठीक-ठीक
मैं बता भी नहीं सकता
हालांकि ये समझाने की मैंने
कई दफा कोशिश की है
पुकारा है उसे दिल से
कई बार गुजारी है रात
इस वियोग में के वो आएगी
लौटकर मेरी इन बाहों में
फिर मैं भी हो जाऊँगा
बिलकुल ठीक
ठीक उसकी तरह जैसे के
वो रहती है मेरे दिल के दरम्यान।
नितेश वर्मा
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