Monday, 19 May 2014

..अए मौत मुझे इस कहानी से ले जाओ..

..इन उदासी इन ख़ामोशी को ले जाओ..
..ज़िन्दगी से मेरे इन परेशानी को ले जाओ..
..बहोत थक चूका हूँ इस ज़िन्दगी से..
..अए मौत मुझे इस कहानी से ले जाओ..

..कोई और बताया लम्हा गुजार के देखूं..
..मुहब्बत से मैं भी तुझे पुकार के देखूं..
..वो आ जाएं तो ठीक..
..वर्ना सीनें से दिल आज़ निकाल के देखूं..

..अब किस बात की देर हैं..
..लम्हा तेरा ढलता नहीं या रात की देर हैं..
..अँधेरें में ही करोगें क्या गूफ़्तगूं हमसे..
..या मेरी बाहों में आने तक का देर हैं..!

..नितेश वर्मा..

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