Wednesday, 14 May 2014

..वो दिल से बगावत कर बैठा हैं..

..वो दिल से बगावत कर बैठा हैं..
..मुहब्बत तो दूर वो नफ़रत से भी दूर बैठा हैं..
..किसी भी मामलों में शिकस्त ना हो उसकी..
..वो इस ख़्याल से दूर बैठा हैं..

..दिल निकाल के रक्खा था मैंनें..
..देख मुझे वो निगाहें फ़ेर बैठा हैं..
..नाराज़ हैं वो मुझसे..
..मेरे बातों से वो बहोत दूर बैठा हैं..

..दिल-धडकन, रेंत-समुन्दर..
..तुम और मैं सबको किनारें कर बैठा हैं..
..जैसे लहरों से कोई पानी किनारें कर बैठा हैं..

..वो कैसे मेरे ज़िन्दगी से दूर बैठा हैं..
..निगाहें फ़ेर मुझसे वो मुझमें ही बैठा हैं..
..वो दिल से बगावत कर बैठा हैं..
..मुहब्बत तो दूर वो नफ़रत से भी दूर बैठा हैं..!

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