Sunday, 11 May 2014

..हर आरज़ू पूरी कर दी तुमनें..

..हर आरज़ू पूरी कर दी तुमनें..
..दोस्ती जताई और ज़िन्दगी पूरी कर दी तुमनें..

..लूटाया था मैंनें अपनें हिस्से का सारा सिक्का..
..बढाया हाथ और हसरत पूरी कर दी तुमनें..

..अब कैसे समझाओगें खुद को अए वर्मा..
..मौत भी बुलाया तो हिसाब पूरी कर दी तुमनें..

..अब कोई शख्स नहीं हैं तेरे जैसा यहां..
..इस जहां को मैंनें भूलाया तो सर आसमां कर दी तुमनें..

..हर आरज़ू पूरी कर दी तुमनें..
..दोस्ती जताई और ज़िन्दगी पूरी कर दी तुमनें.. !

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