Wednesday, 14 May 2014

..हर ज़िंदा लाश में हो तुम..

..हर ज़िंदा लाश में हो तुम..
..दर्द हो लेकिन जां लिए बैठे हो तुम..

..रहनें को घर नहीं..
..और फ़कत आसमान लिए बैठें हो तुम..

..मेरी मुहब्बत को इफ़्क बतातें हो तुम..     [इफ़्क = मिथ्या,असत्य]
..और ज़िन्दगी के आरमान लिए बैठें हो तुम..

..सयाना ही हैं ये रूबाब तुम्हारा..
..ज़िन्दगी से मेरे मौत लिए बैठे हो तुम..

..हर ज़िंदा लाश में हो तुम..
..दर्द हो लेकिन जां लिए बैठे हो तुम..!


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