Wednesday, 7 May 2014

..मौत नें चैंन से मुझे कभी बुलाया नहीं..

..एक वक्त से उसने मुझे बुलाया नहीं..
..जो था लम्हा उसका..
..उसने मुझे अपना बनाया नहीं..

..यादों में मुझे अपने बसाती हैं..
..जो मुहब्बत था दिल से कभी जताया नहीं..

..याद आ जाता था..
..शाम की काँफ़ी की तरह मैं अक्सर..
..उसने मुझे कभी दिल से भूलाया नहीं..

..रहमों-दरम मिलतें हर ज़र्रें में मेरे..
..चेहरें को छू के कभी उसने बताया नहीं..

..एक अरसां सा हो गया हैं..
..वो देर से ही सहीं मुझे देख कभी मुस्कुरायां नहीं..

..अब लम्हात हमारें कटतें नहीं..
..मौत को दावां दिया एक अरसां हो गया हैं..

..अब बेचैंनी ही बची हैं इस ज़िन्दगी में..
..मौत नें चैंन से मुझे कभी बुलाया नहीं..!


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